Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay: जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं भाषा शैली
Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay: जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार एवं निबंधकार हैं। इसके साथ ही वह हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने अपनी अनुपम कृतियों के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। प्रसाद जी की प्रमुख रचनाएँ हैं स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, अजातशत्रु, ध्रुवस्वामिनी (नाटक); कंकाल, तितली, इरावती-अपूर्ण (उपन्यास), आंधी, छाया, इंद्रजाल, प्रतिध्वनि और आकाशदीप (कहानी-संग्रह), काव्य और कला तथा अन्य निबंध (निबंध संग्रह) व झरना, लहर, कामायनी, कानन कुसुम, आंसू और प्रेमपथिक (कविताएँ)।
बता दें कि जयशंकर प्रसाद की अनेक रचनाओं को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET और UPSC परीक्षा में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब इस ब्लॉग में समादृत कवि-कथाकार और नाटकक
Jaishankar Prasad / जयशंकर प्रसाद एक प्रसिद्ध कवि, नाटककार, कथाकार, साहित्यकार तथा निबन्धकार थे। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने उपन्यास, कहानी, कविता और नाटक जैसे विभिन्न विधाओं में अपार योगदान दिया। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वे एक राष्ट्र प्रेमी कवि की तरह काम कर रहे थे। आइये जाने जयशंकर प्रसाद की जीवन परिचय के बारे में (Jaishankar Prasad ka Jeevan Parichay).
जयशंकर प्रसाद जी का परिचय Jaishankar Prasad ka Jeevan Parichay
पूरा नाम | जयशंकर प्रसाद साहू | |||||||||||||||||
जन्म तिथि | 30 जनवरी | |||||||||||||||||
जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश (भारत) | |||||||||||||||||
मृत्यु तिथि | 15 नवम्बर | |||||||||||||||||
मृत्यु स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश (भारत) | |||||||||||||||||
मृत्यु के समय आयु | 48 वर्ष | |||||||||||||||||
देश | भारत | |||||||||||||||||
पत्नी का नाम | कमला देवी | |||||||||||||||||
भाषा | संस्कृत और हिंदी | |||||||||||||||||
शैली | अलंकृत एवं चित्रोपम | |||||||||||||||||
नाटक | चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु | |||||||||||||||||
कहानी संग्रह | इन्द्रजाल, आँधी | |||||||||||||||||
पिता का नाम | बाबू देवी प्रसाद | |||||||||||||||||
माता का नाम | श्रीमती मुन्नी देवी | |||||||||||||||||
शिक्षा | संस्कृत, फारसी तथा अंग्रेजी जैसी भाषाओं की शिक्षा को भी घर पर रहकर ही सीखा। विविध विषयों का अध्ययन भी घर पर रहकर ही किया। | |||||||||||||||||
पेशा | कवि, कहानीकार, नाटककार, उपन्यासकार | |||||||||||||||||
Jaishankar Prasad Jaishankar Prasad जयशंकर प्रसाद, जिन्हें एक महान कवि के रूप में कौन नहीं जानता। उन्होंने न सिर्फ हिन्दी साहित्य में अपना अति महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि अपनी रचनाओं और नाटकों के माध्यम से युग परिवर्तन कर दिया। कवी-आलोचक महादेवी वर्मा कहती है : जब मैं अपने महान कवियों की बात करती हु, तो जयशंकर प्रसाद Jaishankar Prasad का चित्र निश्चित ही मेरे दिमाग में सबसे पहले आता है. ऐसा लगता है जैसे
महान कवी जयशंकर प्रसाद की जीवनी Jaishankar Prasad
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